IEX Share Price में मंगलवार को भारी गिरावट देखने को मिली, जब मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी दी गई कि सरकार पावर एक्सचेंजों के लिए मार्केट कूपलिंग (Market Coupling) लागू करने की योजना बना रही है। इस खबर के बाद IEX के शेयर में 12 प्रतिशत की गिरावट आई और बीएसई पर यह शेयर 209.40 रुपये पर पहुंच गया। शेयर का यह भाव इसके 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर 244.35 रुपये से 14 प्रतिशत नीचे था, जो कि इसी दिन इंट्रा-डे ट्रेडिंग के दौरान देखा गया था।
IEX के शेयरों में वॉल्यूम में भारी उछाल
IEX के शेयरों की ट्रेडिंग वॉल्यूम में छह गुना वृद्धि देखी गई। लगभग 110.74 मिलियन शेयरों का लेन-देन हुआ, जो कि कंपनी की कुल इक्विटी का 12 प्रतिशत है। इस तेज़ गिरावट के बावजूद, IEX का शेयर जून 2023 के निम्न स्तर 134.30 रुपये से 82 प्रतिशत उछल चुका है। यह ध्यान देने योग्य है कि कंपनी का शेयर अक्टूबर 2021 में 318.71 रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा था।
मार्केट कूपलिंग क्या है?
मार्केट कूपलिंग एक ऐसा मॉडल है, जिसमें देश के सभी पावर एक्सचेंजों से खरीद और बिक्री के बोली को एकत्रित कर यूनिफॉर्म मार्केट क्लियरिंग प्राइस (MCP) निकाला जाता है। इससे ऊर्जा बाज़ार में स्थिरता और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
मार्केट कूपलिंग की योजना और पावर एक्सचेंजों पर असर
पावर मंत्रालय ने Grid Controller of India को निर्देशित किया है कि वे पावर एक्सचेंजों के लिए कूपलिंग की पायलट स्टडी को निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा करें। IEX ने अपनी FY24 वार्षिक रिपोर्ट में भी कहा है कि मार्केट कूपलिंग का निर्णय पावर एक्सचेंज के डिज़ाइन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
CERC के मार्केट कूपलिंग नियम
Central Electricity Regulatory Commission (CERC) द्वारा Power Market Regulations, 2021 (PMR 2021) में मार्केट कूपलिंग का प्रावधान शामिल किया गया है। हालांकि, CERC ने अभी तक इसे लागू करने का कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। CERC का मानना है कि Real-Time Market (RTM) डेटा को Security Constrained Economic Dispatch (SCED) के साथ कूपलिंग करने का अध्ययन किया जा सकता है, जिसे Grid India संचालित करता है।
CERC ने फरवरी 2024 में एक आदेश में कहा था कि Grid India को अगले दो महीने में शैडो पायलट के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करना चाहिए और इसके बाद चार महीने के लिए इसका सिमुलेशन चलाना चाहिए।
लेट पेमेंट सरचार्ज नियमों का संशोधन और उसका असर
हाल में लेट पेमेंट सरचार्ज नियम 2022 में किए गए संशोधन के तहत अवांछित ऊर्जा (URS) को Day-Ahead Market (DAM) और RTM में बेचना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम ऊर्जा की क्षमता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
IEX की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, SCED और RTM के बीच मार्केट कूपलिंग से किसी महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन की संभावना नहीं है। इसके चलते IEX ने कहा है कि मार्केट कूपलिंग से कोई विशेष लाभ नहीं होगा, बल्कि इसकी जटिलताएं इसके कार्यान्वयन को मुश्किल बना देंगी।
IEX के शेयरों पर विश्लेषकों की राय
Motilal Oswal Financial Services (MOFSL) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि IEX बढ़ती बिजली खपत, नवीन ऊर्जा उत्पादों और पावर इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से एक प्राकृतिक लाभार्थी है। MOFSL के मुताबिक, FY24-27 के दौरान IEX की वॉल्यूम और लाभ में क्रमशः 17 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) होने की उम्मीद है।
MOFSL का यह भी मानना है कि यदि लॉन्ग-डेटेड कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च होते हैं, तो इससे शुरुआती साल में वॉल्यूम में 4 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, मार्केट कूपलिंग का संभावित कार्यान्वयन IEX के विकास की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि कंपनी की बाज़ार में प्रमुख हिस्सेदारी है।
IEX की भविष्य की योजनाएं और चुनौतियां
IEX का कहना है कि उन्हें मार्केट कूपलिंग में कोई विशेष लाभ दिखाई नहीं देता और इसके कार्यान्वयन में जटिलताएं हो सकती हैं। हालांकि, कंपनी पावर मार्केट में लगातार वृद्धि के लिए तैयार है। कंपनी का फोकस नए उत्पादों के लॉन्च और पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के क्षेत्र में विस्तार पर है।
मार्केट कूपलिंग लागू होने की स्थिति में IEX को अपने बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों और प्रोडक्ट्स पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
IEX के शेयरों में अचानक आई इस गिरावट का मुख्य कारण सरकार द्वारा मार्केट कूपलिंग को लागू करने की योजना है। हालांकि, कंपनी ने अपने तर्क में कहा है कि इससे पावर एक्सचेंज में कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन अगर यह योजना लागू होती है, तो IEX के शेयरों पर इसका असर हो सकता है। आने वाले समय में IEX को अपनी मार्केट स्थिति को बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
FAQs:
1. IEX के शेयरों में 12% की गिरावट का मुख्य कारण क्या है?
IEX के शेयरों में 12% की गिरावट का मुख्य कारण सरकार की मार्केट कूपलिंग योजना है, जिसे पावर एक्सचेंजों में लागू करने की संभावना है। इस खबर के बाद निवेशकों में चिंता बढ़ी और भारी बिकवाली देखी गई।
2. मार्केट कूपलिंग क्या है?
मार्केट कूपलिंग एक प्रणाली है, जिसमें विभिन्न पावर एक्सचेंजों से खरीद और बिक्री की बोली को एकत्रित कर समान मार्केट क्लियरिंग प्राइस (MCP) निकाला जाता है, ताकि एक एकीकृत और ट्रांसपेरेंट ऊर्जा बाजार का निर्माण हो सके।
3. IEX शेयर का 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर क्या था?
IEX शेयर का 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर 244.35 रुपये था, जिसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग के दौरान छुआ गया।
4. क्या IEX ने मार्केट कूपलिंग पर कोई बयान दिया है?
जी हां, IEX ने अपनी FY24 वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि उन्हें मार्केट कूपलिंग में कोई विशेष लाभ नहीं दिखाई देता और इसके कार्यान्वयन में कई जटिलताएं हो सकती हैं।
5. मार्केट कूपलिंग का IEX के व्यवसाय पर क्या असर होगा?
यदि मार्केट कूपलिंग लागू होती है, तो यह IEX की मौजूदा बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, कंपनी का मानना है कि इसका प्रभाव सीमित हो सकता है।
6. IEX शेयर ने अपने निम्नतम स्तर से कितना उछाल देखा है?
IEX शेयर ने जून 2023 के अपने निम्नतम स्तर 134.30 रुपये से अब तक 82% की उछाल देखी है।
7. CERC का मार्केट कूपलिंग पर क्या दृष्टिकोण है?
CERC (Central Electricity Regulatory Commission) ने अभी तक मार्केट कूपलिंग के कार्यान्वयन पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, पायलट स्टडी पर काम चल रहा है, और इस पर निर्णय आने वाले समय में लिया जा सकता है।
8. क्या मार्केट कूपलिंग से पावर मार्केट में सुधार होगा?
मार्केट कूपलिंग से पावर मार्केट में ट्रांसपेरेंसी और स्थिरता बढ़ने की संभावना है, लेकिन IEX का मानना है कि इससे कोई महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ नहीं होगा।
9. IEX शेयर में निवेश के लिए विशेषज्ञों की क्या राय है?
विश्लेषकों का मानना है कि IEX शेयर पावर सेक्टर के विकास, बिजली की बढ़ती खपत, और नए उत्पादों की लॉन्चिंग के कारण लंबे समय में लाभदायक हो सकता है। लेकिन मार्केट कूपलिंग जैसी नियामक चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा।
10. IEX के लिए भविष्य की चुनौतियां क्या हैं?
IEX के लिए सबसे बड़ी चुनौती मार्केट कूपलिंग का संभावित कार्यान्वयन है। अगर इसे लागू किया जाता है, तो कंपनी को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है। इसके अलावा, कंपनी को नए उत्पादों और बाजार विस्तार पर ध्यान देना होगा।