जम्मू-कश्मीर का शांतिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पहलगाम अब एक खौफनाक आतंकी हमले के चलते सुर्खियों में है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। यह हमला न केवल मानवता पर आघात है बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था को भी चुनौती देता है। आइए जानते हैं इस आतंकी हमले से जुड़े अब तक के बड़े अपडेट्स, जांच की स्थिति, और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की अहमियत।
हमले की पूरी घटना: कब और कैसे हुआ हमला?

पर्यटकों को बनाया गया निशाना
मंगलवार को पहलगाम में हुए इस भीषण आतंकी हमले में आतंकियों ने योजनाबद्ध तरीके से पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं। सूत्रों के मुताबिक, यह हमला बेहद सोच-समझकर अंजाम दिया गया। आतंकवादियों ने सिर पर कैमरे लगे हेलमेट पहन रखे थे जिससे पूरी वारदात की रिकॉर्डिंग की जा सके।
स्नाइपर और ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल
आतंकियों ने आधुनिक हथियारों जैसे AK-47 से हमला किया। कुछ आतंकियों ने दूर से स्नाइपर की तरह फायरिंग की, जबकि अन्य छिपकर नजदीक से गोलियां बरसाते रहे। हमले के स्थान का चयन भी इस तरह किया गया था कि बचाव कार्य में समय लगे और ज्यादा से ज्यादा जानें जाएं।
आतंकियों की पहचान और स्केच जारी

तीन मुख्य संदिग्ध
जांच एजेंसियों ने इस हमले में शामिल तीन आतंकियों की पहचान की है – आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा। इनके कोड नाम मूसा, यूनुस और आसिफ बताए गए हैं। ये सभी पहले भी पुंछ और राजौरी में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं।
हमले से पहले घुसपैठ और रणनीति
जानकारी के मुताबिक, ये आतंकी करीब दो हफ्ते पहले राजौरी होते हुए भारत में दाखिल हुए थे। वे रियासी और उधमपुर के रास्ते पहलगाम पहुंचे और गुप्त ठिकानों में छिपे रहे। हमले के दिन का इंतजार कर रहे इन आतंकियों ने सटीक योजना के तहत हमला किया।
कश्मीर घाटी में 35 साल बाद बाजार बंद

समाज का एकजुट विरोध
पहलगाम हमले के विरोध में कश्मीर घाटी में 35 वर्षों में पहली बार पूरी तरह से बंद देखा गया। दुकानों, पेट्रोल पंपों, निजी स्कूलों और सार्वजनिक परिवहन पर इसका व्यापक असर पड़ा। हर वर्ग के लोगों ने इस बंद का समर्थन किया और निर्दोषों की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई।
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन
कई स्थानों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने हमले की निंदा करते हुए सरकार से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की। इस अभूतपूर्व बंद से यह स्पष्ट होता है कि आम कश्मीरी नागरिक आतंक के खिलाफ खड़ा है।
आतंकी साजिश की जड़ें POK से जुड़ी?
रावलकोट में मीटिंग और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
जांच एजेंसियों को शक है कि इस हमले की साजिश POK (पाक अधिकृत कश्मीर) में रची गई थी। रावलकोट में आतंकियों की एक गुप्त मीटिंग हुई थी, जिसकी वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस मीटिंग में कश्मीर को निशाना बनाने और भारत विरोधी गतिविधियों की योजना बनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका

सुरक्षा व्यवस्था और मेडिकल इमरजेंसी की मांग
इस भीषण हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विशाल तिवारी ने याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि गर्मियों की छुट्टियों में बढ़ने वाले टूरिस्ट फ्लो को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए।
भविष्य की घटनाओं से निपटने के लिए दिशा-निर्देश
याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देश जारी करे, जिससे भविष्य में कोई पर्यटक निशाना न बने। साथ ही अगर हमला हो, तो तत्काल मेडिकल सहायता और इमरजेंसी रेस्क्यू की व्यवस्था होनी चाहिए।
मृतकों को सम्मान के साथ विदाई

तीन बैच में शवों को भेजा जाएगा
सरकार ने मृतकों के पार्थिव शरीर को उनके परिजनों तक पहुंचाने की योजना बनाई है। पहले बैच में 10, फिर 9 और फिर 8 शवों को दिल्ली लाया जाएगा, जहां से उन्हें उनके घरों तक भेजा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिल्ली एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
टूरिज्म पर असर और अंतरराष्ट्रीय छवि
यह हमला न सिर्फ पर्यटकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित करता है। जम्मू-कश्मीर जैसे पर्यटन स्थलों पर आतंकी हमले विदेशी सैलानियों के बीच डर का माहौल पैदा करते हैं, जिससे टूरिज्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान होता है।
क्या अब और सख्त कदम उठाने का वक्त आ गया?
पहाड़ों की गोद में बसे शांतिपूर्ण पहलगाम में हुआ यह हमला हमें बार-बार याद दिलाता है कि आतंकवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। जब तक भारत निर्णायक कदम नहीं उठाएगा, तब तक ऐसे कायराना हमले दोहराए जाते रहेंगे। अब समय आ गया है कि न केवल आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, बल्कि सीमा पार बैठे उनके आकाओं को भी करारा जवाब दिया जाए।