Caste Census: केंद्र सरकार ने caste census को दी मंजूरी, राहुल गांधी ने पूछा – सर्वे कब होगा

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भारत में सामाजिक न्याय और समान अवसर की बहस एक बार फिर तेज हो गई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि आगामी राष्ट्रीय जनगणना में caste census को शामिल किया जाएगा। यह फैसला वर्ष 2011 के बाद पहली बार लिया गया है जब देश में जाति आधारित आंकड़ों का संग्रह होगा। इस फैसले के बाद जहां राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हुई हैं, वहीं विपक्ष खासकर कांग्रेस ने इससे जुड़ी प्रक्रिया, पारदर्शिता और समयसीमा को लेकर सवाल उठाए हैं।

केंद्र सरकार का निर्णय

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने caste census को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार यह सर्वे पूरी तरह से केंद्र सरकार की देखरेख में होगा ताकि राज्य सरकारों द्वारा कराए गए अलग-अलग सर्वेक्षणों में जो विरोधाभास सामने आए हैं, उन्हें समाप्त किया जा सके। उन्होंने यह भी दोहराया कि संविधान के अनुसार caste census केंद्र सरकार का विषय है और इसे पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।

राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन इसके साथ ही केंद्र सरकार से पूछा कि यह कार्य कब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा कदम है लेकिन सरकार को एक स्पष्ट समयसीमा घोषित करनी चाहिए। उन्होंने केंद्र से जवाब मांगते हुए कहा कि हम इसे पूरी तरह समर्थन देते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि यह कब किया जाएगा।

तेलंगाना का उदाहरण

राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में तेलंगाना का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां राज्य सरकार ने पहले ही caste census जैसे सर्वेक्षण कर लिए हैं और यह दिखाया है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो इस तरह की कवायद संभव है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम बताया और कहा कि अब केंद्र सरकार को भी तेजी से इस पर आगे बढ़ना चाहिए।

कांग्रेस की व्यापक सोच

राहुल गांधी ने यह भी स्पष्ट किया कि caste census केवल एक सांख्यिकी सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक सुधार की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एक ऐसा विकास मॉडल लाना चाहती है जिसमें जातिगत हिस्सेदारी स्पष्ट हो और OBC, दलित, आदिवासी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल आरक्षण तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि शिक्षा, नौकरियों और संसाधनों के समुचित वितरण की दिशा में भी काम किया जाना चाहिए।

अनुच्छेद 15(5) और निजी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण

राहुल गांधी ने अपने बयान में संविधान के अनुच्छेद 15(5) का भी उल्लेख किया। यह प्रावधान निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान पहले से ही कानून का हिस्सा है और अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाए। कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में भी इस बात को शामिल किया था।

मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिक्रिया

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी caste census के फैसले को सराहा और इसे एक समावेशी विकास के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि जब तक सभी वर्गों की भागीदारी नहीं होगी, तब तक विकास अधूरा रहेगा। उन्होंने caste census को एक आवश्यक सामाजिक उपकरण बताया जिससे सरकार को नीतियों के निर्धारण में स्पष्टता और दिशा मिल सकेगी।

भाजपा की स्थिति में बदलाव

राहुल गांधी ने इस पर भी सवाल उठाया कि भाजपा सरकार ने अब तक caste census का विरोध किया था, लेकिन अब अचानक इसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव स्वागत योग्य है लेकिन इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जनता के दबाव में सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब केवल घोषणा से काम नहीं चलेगा, इसे निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से लागू करना होगा।

आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार की मांग

caste census की पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को समाप्त करने की मांग भी दोहराई। उन्होंने कहा कि जब तक जातिगत आंकड़े स्पष्ट नहीं होंगे, तब तक हम यह नहीं समझ पाएंगे कि किस वर्ग को कितना प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि caste census के जरिए जब वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे, तब नीतिगत निर्णयों में ज्यादा न्यायसंगत तरीके से आरक्षण तय किया जा सकेगा।

नीति निर्माण में caste census की भूमिका

caste census केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा उपकरण है जो नीति निर्माण को अधिक प्रभावी बना सकता है। सरकारी नौकरियों, शिक्षा, सामाजिक कल्याण योजनाओं, बजट आवंटन और संसाधनों के वितरण जैसे विषयों पर जब तक वास्तविक सामाजिक संरचना का चित्र सामने नहीं आता, तब तक नीतियां प्रभावी नहीं हो सकतीं। caste census इस दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगा।

सामाजिक न्याय और सहभागिता

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में सामाजिक न्याय तभी संभव है जब सभी वर्गों को समान अवसर मिलें। caste census से यह जानकारी मिलेगी कि किन वर्गों की भागीदारी कितनी है और किन्हें अब भी अवसरों से वंचित रखा गया है। इससे नीति निर्धारकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस वर्ग को क्या जरूरत है और उसे किस प्रकार से सशक्त बनाया जा सकता है।

क्या caste census से बदल जाएगी राजनीति

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि caste census के बाद भारत की राजनीति और सामाजिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है। जब यह सामने आएगा कि देश की जनसंख्या में कौन से वर्ग कितने प्रतिशत हैं और उनका सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में कितना प्रतिनिधित्व है, तो इससे नई राजनीतिक मांगें और आंदोलन भी सामने आ सकते हैं। हालांकि, इससे लोकतंत्र और सामाजिक समावेशन को बल मिलेगा।

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