India-Pakistan Ceasefire लागू , लेकिन क्या यह भरोसे लायक है? पूरी रिपोर्ट पढ़ें

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भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव के बीच, हाल ही में एक बार फिर से India-Pakistan ceasefire की घोषणा की गई है। यह निर्णय उस समय आया जब सीमा पर लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन और आतंकवादी गतिविधियों के कारण हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके थे। भारत की ओर से पाकिस्तान के बड़े शहरों जैसे इस्लामाबाद, रावलपिंडी और लाहौर में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की गई थी। साथ ही, सियालकोट और नरवाल में भी पाकिस्तान की सेना के ठिकानों पर हमले हुए।

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि India-Pakistan ceasefire की यह पहल क्यों हुई, इसमें किन-किन कूटनीतिक उपायों को अभी तक निलंबित रखा गया है, और इस पर भारत की स्थिति क्या है।

जवाबी कार्रवाई के बाद बातचीत की पहल

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से भारत से संपर्क साधा गया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच India-Pakistan ceasefire पर सहमति बनी। इस बार बातचीत में कोई पूर्व शर्त या पश्चात शर्त नहीं रखी गई है। यानी यह एक “no strings attached” समझौता है।

भारत का आतंकवाद पर सख्त रुख कायम

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) के सूत्रों के अनुसार, भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। India-Pakistan ceasefire के बावजूद भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे यह सीमा पार से हो या देश के भीतर।

सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) भी अबेयान्स में

इस India-Pakistan ceasefire के साथ ही एक बड़ा कदम यह भी रहा कि सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को अभी भी निलंबित रखा गया है। भारत ने पहले ही इस संधि पर पुनर्विचार करने के संकेत दिए थे, और अब जबकि पाकिस्तान ने एक बार फिर उकसावे की नीति अपनाई थी, तो यह समझौता भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

पंजाब में सुरक्षा बढ़ाने की घोषणा

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने India-Pakistan ceasefire के ऐलान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पंजाब राज्य अलर्ट पर रहेगा। उन्होंने कहा, “सीमा पर शांति की घोषणा एक अच्छी खबर है, लेकिन हम लापरवाह नहीं हो सकते। हम अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एंटी-ड्रोन सिस्टम लगवाएंगे ताकि भविष्य में कोई अनहोनी न हो।”

यह बयान इस बात को दर्शाता है कि भले ही India-Pakistan ceasefire घोषित हो गया हो, लेकिन पंजाब सहित सीमावर्ती राज्यों की सरकारें अभी भी पूरी सतर्कता बरत रही हैं।

राजनैतिक प्रतिक्रियाएं और अमेरिका की भूमिका

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सबसे पहले मैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने इस मुद्दे में हस्तक्षेप किया। इसके साथ ही मैं हमारे देश के नेतृत्व और पाकिस्तान दोनों को बधाई देती हूं जिन्होंने India-Pakistan ceasefire पर सहमति बनाई।”

उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि इस संघर्ष विराम में अमेरिका समेत अन्य वैश्विक शक्तियों की कूटनीतिक भूमिका भी रही है।

जनता के लिए राहत, खासकर जम्मू-कश्मीर में

India-Pakistan ceasefire का सबसे सकारात्मक असर उन नागरिकों पर पड़ा है जो सीमा के आसपास रहते हैं, खासकर जम्मू-कश्मीर में। आए दिन की गोलीबारी, बमबारी और सैन्य तनाव से ग्रस्त जनता के लिए यह समझौता एक बड़ी राहत बनकर आया है।

युद्ध का खौफ और मानसिक दबाव

जम्मू-कश्मीर के लोग इस India-Pakistan ceasefire को एक “मानवता का कदम” मान रहे हैं। हर बार जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है, तो सबसे पहले आम नागरिक प्रभावित होते हैं। स्कूल बंद हो जाते हैं, बाजार ठप हो जाते हैं, और घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

क्या यह संघर्ष विराम स्थायी रहेगा?

इतिहास गवाह है कि India-Pakistan ceasefire जैसी घोषणाएं कई बार हो चुकी हैं लेकिन उनका पालन लंबे समय तक नहीं हो पाया। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी, बार-बार होने वाली घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियां इन समझौतों को कमजोर करती हैं।

पूर्व के संघर्ष विरामों का हश्र

2003 में हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद भी कई बार पाकिस्तान ने सीमा पार से फायरिंग की, जिसमें भारतीय सैनिकों और नागरिकों की जानें गईं। ऐसे में इस बार भी यह देखना होगा कि क्या पाकिस्तान इस बार वाकई ईमानदारी से इस India-Pakistan ceasefire का पालन करेगा।

रक्षा विशेषज्ञों की राय

रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने इस बार पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। एयरबेस और सैन्य ठिकानों पर हमले कर यह संदेश दे दिया गया है कि भारत अब “पहले गोली खाओ, फिर जवाब दो” की नीति नहीं अपनाएगा।

वे मानते हैं कि यह India-Pakistan ceasefire इसलिए संभव हुआ क्योंकि पाकिस्तान को भारत की सैन्य क्षमता का अंदाज़ा हो गया है।

सोशल मीडिया और जन भावनाएं

India-Pakistan ceasefire को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस चल रही है। एक वर्ग जहां शांति को सर्वोपरि मानता है, वहीं दूसरा वर्ग इसे पाकिस्तान की एक और चाल मानता है। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह संघर्ष विराम लंबा चलेगा या एक बार फिर से यह सिर्फ कागज़ों तक सीमित रहेगा।

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