भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार से मुंबई और इसके आस-पास के जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है। विभाग ने severe rainfall alert जारी करते हुए बताया कि यह स्थिति कम से कम रविवार सुबह तक बनी रह सकती है। इस चेतावनी के चलते प्रशासनिक एजेंसियां अलर्ट पर हैं और समुद्री गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
अरब सागर में बना निम्न दबाव क्षेत्र बना भारी बारिश का कारण

शुक्रवार सुबह, अरब सागर में दक्षिण कोंकण तट के पास एक चक्रवाती परिसंचरण के चलते एक चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र बना। IMD ने बताया है कि अगले 24 घंटों में यह क्षेत्र एक डिप्रेशन (अवदाब) में तब्दील हो सकता है। इसी के कारण severe rainfall alert जारी किया गया है।
उत्तर दिशा में बढ़ेगा निम्न दबाव, और बढ़ेगा खतरा
इस निम्न दबाव क्षेत्र के उत्तर की ओर बढ़ने की संभावना है जिससे मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों में भारी बारिश की संभावना बढ़ गई है। शुक्रवार से लगातार बारिश की शुरुआत हो चुकी है और IMD ने मुंबई, ठाणे और पालघर के लिए ऑरेंज अलर्ट, जबकि रायगढ़ और रत्नागिरी के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
मछली पकड़ने और पर्यटन गतिविधियों पर रोक
IMD ने west coast के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को विशेष सूचना जारी की है। इस सूचना में कहा गया है कि 22 मई से 27 मई के बीच समुद्र में मछली पकड़ने की सभी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। IMD का कहना है कि इस दौरान समुद्र में हवाएं तेज़ गति से चलेंगी और लहरें बहुत ऊंची उठ सकती हैं।
shipping गतिविधियों की निगरानी आवश्यक
छोटे जहाजों और व्यापारिक जहाजों की गतिविधियों पर भी नियंत्रण रखा जाएगा। severe rainfall alert के चलते समुद्र में किसी भी प्रकार की लापरवाही भारी जोखिम का कारण बन सकती है। पर्यटन स्थलों पर आने वाले लोगों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
मुंबई में बारिश की शुरुआत, लेकिन गुरुवार तक सीमित आंकड़े
गुरुवार को मुंबई में यलो अलर्ट जारी था, लेकिन उस दिन तक भारी बारिश नहीं हुई थी। कोलाबा में 24 घंटों में केवल 6 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई जबकि सांताक्रूज स्टेशन ने ‘trace’ बारिश दर्ज की। ‘Trace’ का अर्थ होता है कि बारिश शून्य से अधिक हुई थी, लेकिन इतनी कम थी कि उसे मानक मापन इकाइयों में दर्ज नहीं किया जा सकता।
प्रशासन की तैयारियाँ और जनता को सतर्क रहने की अपील

स्थानीय प्रशासन ने severe rainfall alert के बाद आपदा प्रबंधन की सभी एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है। स्कूलों और कॉलेजों को अलर्ट पर रखा गया है और जहां ज़रूरी हो वहां छुट्टियाँ घोषित की जा सकती हैं।
लोगों को घरों में रहने की सलाह
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि बिना आवश्यक कारण के बाहर न निकलें। विशेष रूप से समुद्र के किनारों, निचले इलाकों और पुलों से दूर रहने को कहा गया है। लगातार बारिश के कारण जलभराव की स्थिति बन सकती है और सड़कें फिसलनभरी हो सकती हैं।
severe rainfall alert के प्रभाव
यह severe rainfall alert केवल बारिश की चेतावनी नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण तटीय क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसका प्रभाव सिर्फ मछली पकड़ने या पर्यटक गतिविधियों तक सीमित नहीं है बल्कि यह लोगों की दैनिक ज़िंदगी, परिवहन, विद्युत आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर डाल सकता है।
रेलवे और हवाई सेवाएं भी प्रभावित होने की आशंका
बारिश के कारण लोकल ट्रेन सेवाओं पर असर पड़ सकता है और कुछ फ्लाइट्स भी रद्द या विलंबित हो सकती हैं। रेलवे अधिकारियों को जलभराव वाले इलाकों में विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
मौसम विशेषज्ञों की राय
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि climate change के प्रभावों के कारण इस तरह के weather patterns अब सामान्य हो गए हैं। Arabian Sea में बनने वाले चक्रवात और अवदाब क्षेत्रों की संख्या और तीव्रता बढ़ी है, जिससे इस तरह के severe rainfall alert पहले की तुलना में अधिक बार जारी किए जा रहे हैं।
पिछले वर्षों में भी देखी गई थी ऐसी स्थिति
पिछले कुछ वर्षों में भी महाराष्ट्र के तटीय जिलों में कई बार severe rainfall alert जारी हुआ है। वर्ष 2021 और 2023 में भी जून-जुलाई के महीनों में इसी तरह की भारी वर्षा ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था।
नागरिकों के लिए जरूरी सुझाव
सभी नागरिकों को निम्नलिखित बातों का पालन करने की सलाह दी गई है:
- severe rainfall alert को गंभीरता से लें।
- मौसम विभाग और प्रशासन द्वारा जारी अलर्ट्स पर नज़र रखें।
- बारिश के दौरान घरों में ही रहें और सुरक्षित स्थान पर जाएँ।
- ज़रूरी आपूर्ति जैसे कि भोजन, पीने का पानी, बिजली बैकअप आदि की व्यवस्था पहले से कर लें।
मुंबई और उसके आस-पास के जिलों में जारी severe rainfall alert यह दर्शाता है कि मौसम अब पहले जैसा स्थिर नहीं रहा। प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति दोनों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में आम नागरिकों, प्रशासन और नीति निर्धारकों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। सावधानी, तत्परता और जागरूकता ही इस आपदा से सुरक्षित रहने का सबसे बड़ा उपाय है।