Apple ने एक बड़ा रणनीतिक बदलाव करते हुए अब iPhone 17 Pro Max का निर्माण भारत में शुरू कर दिया है। यह पहली बार है जब Apple अपने फ्लैगशिप मॉडल का प्रोडक्शन लॉन्च के समय से ही भारत में कर रहा है। कंपनी का यह कदम चीन पर से अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बड़ा संकेत है।
Foxconn, जो Apple का मुख्य विनिर्माण साझेदार है, ने बेंगलुरु के पास स्थित अपने प्लांट में iPhone 17 Pro Max के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं दूसरी ओर Tata Electronics भी Apple के मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क में तेजी से अपनी भागीदारी बढ़ा रही है।
भारत बना iPhone निर्माण का हब
2024-25 में भारत से iPhone का निर्यात 12.8 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 42% की वृद्धि को दर्शाता है। भारत अब Apple के कुल वैश्विक उत्पादन का लगभग 16-17% हिस्सा बन चुका है। तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर, होसूर और बेंगलुरु जैसे क्षेत्रों में Foxconn, Pegatron और Tata Electronics जैसे कंपनियों के बड़े-बड़े संयंत्र काम कर रहे हैं।

Apple की योजना है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले iPhone का एक बड़ा हिस्सा भारत में बने। इसके लिए कंपनी ने भारत में उत्पादन का लक्ष्य 40 अरब डॉलर तक पहुंचाने का रखा है।
अमेरिकी बाजार के लिए भारत से निर्यात
भारत में निर्मित iPhone अब सीधे अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में निर्यात किए जा रहे हैं। मार्च 2025 में भारत से करीब 2 अरब डॉलर मूल्य के iPhone अमेरिका भेजे गए। यह इस बात का संकेत है कि Apple अब भारत को केवल एक assembling सेंटर नहीं, बल्कि एक global export hub के रूप में देख रहा है।
यह कदम Apple को उन अमेरिकी टैक्स नीतियों और ट्रेड वार्स से बचाने में मदद करेगा जो चीन पर आधारित आपूर्ति श्रृंखला के कारण उसे प्रभावित कर सकते थे।
Tata Electronics का बढ़ता दबदबा
Apple की भारतीय निर्माण रणनीति में Tata Electronics की भूमिका भी तेजी से मजबूत हो रही है। हाल ही में Tata ने Pegatron के तमिलनाडु स्थित iPhone प्लांट में 60% हिस्सेदारी खरीद ली है। यह अधिग्रहण Tata को भारत में iPhone निर्माण के लिए Foxconn का सीधा प्रतिस्पर्धी बनाता है।
Tata का लक्ष्य है कि वह भारत में Apple के सबसे बड़े स्थानीय भागीदारों में से एक बने और iPhone के अलावा अन्य Apple उत्पादों का भी निर्माण शुरू करे।
क्या Apple चीन को पूरी तरह छोड़ देगा?
Apple ने अभी तक चीन से पूरी तरह बाहर निकलने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस तरह से वह भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों में अपने निर्माण नेटवर्क का विस्तार कर रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि कंपनी भविष्य में चीन पर कम निर्भर रहना चाहती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की राजनीतिक अस्थिरता, ट्रेड पॉलिसी में बदलाव, और मानवाधिकारों से जुड़ी वैश्विक चिंताओं के चलते कंपनियां चीन से बाहर विकल्प तलाश रही हैं और भारत उनमें से एक प्रमुख गंतव्य बनकर उभरा है।
अमेरिकी राजनीति में Apple का निर्णय बना चर्चा का विषय
Apple के इस निर्णय पर अमेरिकी राजनीति में भी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ अमेरिकी नेताओं ने चिंता जताई है कि Apple को अमेरिकी उत्पादन को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका मानना है कि Apple जैसे ब्रांड को अमेरिका में रोजगार सृजन करना चाहिए, न कि केवल आयात पर निर्भर रहना चाहिए।
हालांकि, Apple की दृष्टि से देखा जाए तो कंपनी एक वैश्विक ब्रांड है और उसकी आपूर्ति श्रृंखला को विविध और लागत-कुशल बनाना उसका प्रमुख उद्देश्य है।

iPhone 17 Pro Max का भारत में निर्माण इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं, बल्कि एक वैश्विक उत्पादन केंद्र बन चुका है। Apple का यह निर्णय न केवल भारत के लिए रोजगार के अवसर और निवेश लेकर आएगा, बल्कि भारत को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर और अधिक प्रमुख स्थान भी दिलाएगा।
यह बदलाव भारत की उत्पादन क्षमताओं और वैश्विक कंपनियों के भरोसे का संकेत है। आने वाले वर्षों में भारत Apple जैसे अन्य वैश्विक ब्रांड्स के लिए भी मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बन सकता है।