Gold Loan Stocks में आज यानी 9 अप्रैल को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। मुथूट फाइनेंस (Muthoot Finance), मणप्पुरम फाइनेंस (Manappuram Finance), IIFL फाइनेंस और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट (Cholamandalam Investment) जैसी बड़ी गोल्ड लोन कंपनियों के शेयर 10% तक टूट गए। इसके पीछे वजह बनी है RBI गवर्नर के एक कड़े बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि गोल्ड लोन सेक्टर पर जल्द ही सख्त गाइडलाइंस लागू की जाएंगी।
मुथूट और IIFL को सबसे बड़ा झटका
सुबह 11:05 बजे तक, मुथूट फाइनेंस के शेयर 10% की गिरावट के साथ ₹2,063 पर ट्रेड कर रहे थे। वहीं IIFL फाइनेंस के शेयरों में भी 8% की गिरावट दर्ज की गई। मणप्पुरम फाइनेंस के शेयर 3% और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट के शेयर लगभग 5% तक गिरे।
इन सबका सीधा असर Gold Loan Stocks के पूरे बाजार पर पड़ा है। निवेशकों में डर है कि नए नियम लागू होते ही इन कंपनियों की लोन देने की प्रक्रिया और कमाई दोनों पर असर पड़ेगा।
RBI का प्लान क्या है?

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने बयान में कहा कि गोल्ड लोन सेक्टर में को-लेंडिंग के दायरे को बढ़ाया जाएगा और सभी रेगुलेटेड संस्थाओं को इसमें शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि Gold Loan Stocks को लेकर अब एक मजबूत, पारदर्शी और कठोर दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
नए दिशा-निर्देश क्या हो सकते हैं?
- सभी कंपनियों को प्रूडेंशियल नॉर्म्स (prudential norms) का पालन करना होगा
- गोल्ड के बदले दिए जाने वाले लोन के उपयोग को रेगुलेट किया जाएगा
- नॉन-फंड बेस्ड एंटिटीज पर भी निगरानी बढ़ेगी
- लोन रिकवरी और मूल्यांकन के लिए एक समान मानक तय किए जाएंगे
किन कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर?
मुथूट फाइनेंस
मुथूट फाइनेंस के कुल पोर्टफोलियो में गोल्ड लोन की हिस्सेदारी 50% है। इस वजह से Gold Loan Stocks में सबसे बड़ी गिरावट मुथूट के शेयर में देखने को मिली।
मणप्पुरम फाइनेंस
इस कंपनी के पोर्टफोलियो में लगभग 98% हिस्सा गोल्ड लोन का है। यानी यदि गोल्ड लोन सेक्टर पर नियम कड़े हुए तो सबसे बड़ा असर इसी कंपनी पर पड़ेगा।
IIFL फाइनेंस
IIFL फाइनेंस के कुल कारोबार में गोल्ड लोन का योगदान 21% है। यह कंपनी भी Gold Loan Stocks के बड़े खिलाड़ियों में से एक है।
बैंकिंग सेक्टर पर भी पड़ा असर
RBI गवर्नर के बयान का असर उन बैंकों पर भी देखने को मिला जिनका गोल्ड लोन में बड़ा एक्सपोजर है:
- Federal Bank: इसके शेयरों में लगभग 1% की गिरावट आई। इसकी लोन बुक में 15% हिस्सा गोल्ड लोन का है।
- CSB Bank: इसके पोर्टफोलियो में गोल्ड लोन की हिस्सेदारी 40% से ज्यादा है। इसके शेयर भी 1% तक फिसले।
निवेशकों के लिए क्या संदेश?

यदि आपने Gold Loan Stocks में निवेश किया हुआ है, तो आपको सतर्क रहना होगा। RBI के दिशा-निर्देश इन कंपनियों की आमदनी और मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए निवेश से पहले कंपनियों की बैलेंस शीट, डाइवर्सिफिकेशन और प्रबंधन की रणनीतियों पर ध्यान देना जरूरी है।
क्या यह गिरावट स्थायी है?
वित्तीय जानकारों के अनुसार, यह गिरावट फिलहाल डर की वजह से है। जैसे-जैसे RBI की गाइडलाइंस साफ होंगी, बाजार की धारणा में सुधार हो सकता है। हालांकि, Gold Loan Stocks में निवेश करते वक्त लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण अपनाना ही सही रहेगा।

Gold Loan Stocks फिलहाल बाजार में चर्चा का विषय बने हुए हैं। RBI के नए नियमों की आशंका ने निवेशकों के बीच बेचैनी बढ़ा दी है। मुथूट, मणप्पुरम, IIFL और अन्य कंपनियों को इससे झटका लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यदि ये कंपनियां नियामकों की उम्मीदों पर खरी उतरती हैं, तो इनका भविष्य भी सुरक्षित रह सकता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. Gold Loan Stocks में इतनी गिरावट क्यों आई है?
RBI गवर्नर के बयान के बाद कड़े नियम लागू होने की आशंका से निवेशकों ने भारी बिकवाली की।
Q2. मुथूट फाइनेंस का शेयर कितना गिरा?
करीब 10% गिरकर ₹2,063 पर ट्रेड करता देखा गया।
Q3. RBI क्या नए नियम लाने वाला है?
गोल्ड लोन के लिए एक समान दिशा-निर्देश, को-लेंडिंग दायरे में सभी रेगुलेटेड संस्थाएं, और प्रूडेंशियल नॉर्म्स।
Q4. Gold Loan Stocks में निवेश करना चाहिए या नहीं?
लंबे समय की सोच और कंपनियों की बैलेंस शीट देखकर निर्णय लेना चाहिए।
Q5. मणप्पुरम फाइनेंस पर कितना असर पड़ा?
इसका 98% पोर्टफोलियो गोल्ड लोन पर आधारित है, इसलिए बड़ा असर पड़ा है।
Q6. कौन-सी बैंकें प्रभावित हुई हैं?
Federal Bank और CSB Bank, जिनका गोल्ड लोन एक्सपोजर ज़्यादा है।
Q7. क्या यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी?
यह नियमों की स्पष्टता पर निर्भर करेगा।
Q8. Gold Loan Stocks का भविष्य क्या है?
यदि कंपनियां खुद को नियमों के अनुसार ढाल पाती हैं तो भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
Q9. IIFL Finance पर क्या असर पड़ा?
इसके शेयरों में 8% की गिरावट आई है।
Q10. क्या यह समय Gold Loan Stocks खरीदने का है?
यदि आप जोखिम लेने को तैयार हैं और लॉन्ग टर्म निवेशक हैं, तो गिरावट में खरीदारी की रणनीति अपनाई जा सकती है।