जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी कार्रवाई के तहत operation keller एक बड़ी कामयाबी के रूप में सामने आया है। 13 मई को शोपियां जिले में चली एक अहम मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसके सहयोगी संगठन The Resistance Front (TRF) के शीर्ष कमांडर शाहिद कुट्टे समेत तीन आतंकवादी मारे गए। यह मुठभेड़ न केवल एक रणनीतिक सफलता है बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध चल रहे भारत के व्यापक अभियान में एक निर्णायक क्षण के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है ऑपरेशन केलर?
operation keller जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और CRPF के संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियानों की एक कड़ी है, जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण कश्मीर में सक्रिय शीर्ष आतंकियों को निशाना बनाना है। यह ऑपरेशन खासतौर पर शोपियां, पुलवामा और अनंतनाग जिलों में चलाया जा रहा है जहाँ लश्कर-ए-तैयबा और TRF जैसे आतंकी संगठनों की गहरी पैठ रही है।
क्यों खास है ऑपरेशन केलर?
- यह ऑपरेशन हाल ही में हुए पहलगाम हमले के जवाब में तेज़ी से शुरू किया गया।
- operation keller में अब तक कई बड़े आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया है।
- सुरक्षा एजेंसियों का फोकस उन आतंकियों पर है जो लोकल नेटवर्क चला रहे हैं और पाकिस्तान से सीधा संपर्क में हैं।
मारे गए आतंकवादियों की पहचान

शोपियां के वंधामा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाला शाहिद कुट्टे, लश्कर और TRF का मुख्य ऑपरेशनल कमांडर था। वह कश्मीर घाटी में कई आतंकी हमलों की योजना में शामिल रहा है। उसके साथ मारे गए दो अन्य आतंकियों की पहचान अदनान शफी (वंधामा, शोपियां) और हैरिस नज़ीर (पुलवामा निवासी) के रूप में की गई है। ये दोनों भी लश्कर से जुड़े सक्रिय आतंकवादी थे।
आतंक के पीछे शाहिद कुट्टे का चेहरा
- 8 अप्रैल 2024: डैनिश रिसॉर्ट में हुए फायरिंग में दो जर्मन पर्यटक घायल हुए, कुट्टे मुख्य आरोपी।
- 18 मई 2024: शोपियां के हीरपोरा में BJP सरपंच की हत्या में शामिल।
- 3 फरवरी 2025: कुलगाम के बेहिबाग में टेरिटोरियल आर्मी के जवान की हत्या।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी। इसके बाद भारत ने Operation Sindoor के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर एयरस्ट्राइक की थी। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिन तक तनाव पैदा कर दिया, जिसके बाद 10 मई को संघर्षविराम की घोषणा की गई।
operation keller उसी घटना की कड़ी में एक प्रतिक्रियात्मक और ठोस कदम था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब किसी भी आतंकी कार्रवाई का जवाब न केवल घाटी में बल्कि सीमा पार भी देने के लिए तैयार है।
कुट्टे की मौत से आतंकियों की रणनीति पर असर
सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि कुट्टे लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित शीर्ष नेतृत्व के सीधे संपर्क में था, जिसमें साजिद जट्ट जैसे नाम शामिल हैं। उसका मुख्य काम भारत में:
- आतंकियों की भर्ती
- फंडिंग चैनल्स को सुचारू रखना
- हमलों की योजना बनाना
- घुसपैठ के रूट तय करना
कुट्टे का नेटवर्क कितना बड़ा था?
कुट्टे की मौत से LeT और TRF की पूरी योजना बिखर सकती है। वह दक्षिण कश्मीर में लश्कर का सबसे प्रभावशाली चेहरा बन चुका था। उसके खत्म होने से न केवल भर्ती अभियान को झटका लगा है, बल्कि फंडिंग और हथियारों की सप्लाई पर भी असर पड़ा है।
ऑपरेशन केलर की रणनीति और कार्यप्रणाली
operation keller को बेहद गोपनीयता और सटीक खुफिया सूचना के आधार पर अंजाम दिया गया। सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और CRPF की विशेष टीमों ने संयुक्त रूप से घेराबंदी की और आतंकियों को आत्मसमर्पण का मौका देने के बाद कार्रवाई की।
इस ऑपरेशन में ड्रोन्स, हाई-टेक नाइट विज़न उपकरण, और GPS लोकेशन ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों को एक नई दिशा दे रहा है।
आतंक पर कार्रवाई का नया मॉडल
operation keller यह दिखाता है कि अब भारत का दृष्टिकोण केवल रक्षात्मक नहीं रहा। सुरक्षा एजेंसियां अब आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए proactive (सक्रिय) अप्रोच अपना रही हैं।
इस मॉडल में आतंकियों के:
- घरों को तोड़ा जा रहा है (जैसे शाहिद कुट्टे का घर चोटीपोरा में ध्वस्त किया गया),
- संपत्तियों को ज़ब्त किया जा रहा है,
- सोशल मीडिया पर प्रचार पर लगाम लगाई जा रही है।
राजनीतिक और रणनीतिक प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि operation keller भारत की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें आतंक के खिलाफ “Zero Tolerance” अपनाया गया है। यह ऑपरेशन यह संकेत भी देता है कि केंद्र सरकार घाटी में शांति स्थापित करने के लिए अब पूरी तरह से सुरक्षा बलों के साथ खड़ी है और आतंकियों के प्रति नरमी की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही।
स्थानीय लोगों का रुख
हालांकि आतंकियों के मारे जाने के बाद कुछ क्षेत्रों में प्रदर्शन हुए, लेकिन कुल मिलाकर घाटी के आम नागरिकों ने राहत की सांस ली है। शोपियां और पुलवामा जैसे इलाके लंबे समय से आतंकवाद की चपेट में रहे हैं, और अब operation keller से वहां के लोगों को उम्मीद बंधी है कि हालात बेहतर हो सकते हैं।
आगे की रणनीति
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि operation keller अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह अभियान अभी जारी रहेगा जब तक कि दक्षिण कश्मीर को आतंकवाद से पूरी तरह मुक्त नहीं किया जाता।
संभावित अगला लक्ष्य
अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि TRF और LeT के शेष बचे हुए नेटवर्क को भी जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। इनमें वे लोग शामिल हैं जो:
- पाकिस्तान से निर्देश ले रहे हैं,
- स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेल रहे हैं,
- मीडिया में झूठा प्रचार कर रहे हैं।
operation keller कश्मीर में आतंक के खिलाफ एक निर्णायक मोड़ है। यह सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और ठोस कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।
शाहिद कुट्टे की मौत और उसके नेटवर्क का ध्वस्त होना इस बात का प्रमाण है कि लश्कर जैसे संगठनों की अब घाटी में जगह नहीं बची है। operation keller का अगला चरण और भी प्रभावशाली हो सकता है, जिससे घाटी को स्थायी शांति की ओर ले जाया जा सकेगा।