Stock Market Crash: 25 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में एक ऐसी गिरावट देखी गई जिसने निवेशकों की नींद उड़ा दी। सेंसेक्स 1000 अंकों से ज्यादा टूटकर करीब 78,800 तक लुढ़क गया, वहीं निफ्टी भी 335 अंक फिसलकर 23,908 के स्तर पर आ गया। इस गिरावट ने निवेशकों के करीब ₹10 लाख करोड़ रुपये डुबो दिए। आखिर इस क्रैश के पीछे क्या वजहें रहीं? चलिए विस्तार से समझते हैं।
शेयर बाजार के गिरने की 5 बड़ी वजहें
1. कश्मीर में आतंकी हमला और भारत-पाक तनाव
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में दर्जनों लोगों की जान जाने के बाद देश में माहौल तनावपूर्ण हो गया। बाजार ने इस घटना पर शुरुआत में संयम दिखाया, लेकिन जैसे-जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा, निवेशकों में डर का माहौल बन गया। इससे बाजार में भारी बिकवाली शुरू हो गई।
2. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया है। अमेरिका और यूरोप में महंगाई और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता के बीच भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकलना स्वाभाविक है, जिससे सेंटीमेंट कमजोर हुआ।
3. कमजोर तिमाही नतीजे
मार्च तिमाही के नतीजे कई बड़ी कंपनियों के लिए उम्मीद से कमजोर रहे हैं। विशेषकर बैंकिंग सेक्टर की कंपनियों ने निवेशकों को निराश किया है। एक्सिस बैंक जैसे शेयरों में 3% से अधिक गिरावट दर्ज की गई।
4. मुनाफावसूली का दबाव
हाल के सप्ताहों में बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई थी। कई शेयरों ने रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छुआ, जिससे निवेशक मुनाफा बुक करने लगे। यह तकनीकी करेक्शन भी बाजार की गिरावट में योगदान दे रहा है।
5. हाई वैल्यूएशन पर चिंता
बाजार में कई शेयर अपने वैल्यूएशन के हिसाब से महंगे हो चुके थे। निवेशकों को लगने लगा था कि यह तेजी टिकाऊ नहीं है। ऐसे में जैसे ही एक निगेटिव खबर आई, डर और अनिश्चितता के माहौल में निवेशकों ने अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया।
किन सेक्टरों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा?

बैंकिंग और फाइनेंस
बैंकिंग सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ। खासकर मिड-साइज बैंकिंग कंपनियों में गिरावट ज्यादा देखने को मिली। Nifty Bank इंडेक्स में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।
मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियां
निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 3% और मिडकैप 100 इंडेक्स 2.5% तक टूट गए। इसका मतलब है कि छोटे और मझोले आकार की कंपनियों पर गिरावट का असर और भी ज्यादा रहा।
आईटी और मेटल सेक्टर
आईटी और मेटल्स जैसे सेक्टर भी लाल निशान में रहे। वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर पड़ने और डॉलर में मजबूती जैसे कारकों ने इन सेक्टरों पर दबाव बढ़ाया।
निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

1. घबराएं नहीं, धैर्य रखें
बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह गिरावट स्थायी नहीं है। ऐसे समय में घबराकर नुकसान उठाने के बजाय धैर्य रखना बेहतर होता है।
2. लंबी अवधि की सोच अपनाएं
यदि आपने अच्छी कंपनियों में निवेश किया है और आपका निवेश लक्ष्य लंबी अवधि का है, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यह गिरावट आपके लिए नए अवसर भी खोल सकती है।
3. पोर्टफोलियो की समीक्षा करें
अपने पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करें। अगर कोई स्टॉक फंडामेंटल्स के लिहाज से कमजोर है, तो उसे बदलना समझदारी हो सकती है।
4. निवेश के नए मौके तलाशें
गिरावट के दौरान कई अच्छी कंपनियों के शेयर आकर्षक कीमतों पर मिल सकते हैं। अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से स्टॉक्स चुनते हैं, तो यह समय खरीदारी के लिए उपयुक्त हो सकता है।
क्या बाजार आगे और गिरेगा?
हालात अभी अनिश्चित हैं। बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि भारत-पाक तनाव कितना बढ़ता है, विदेशी निवेशकों का रुख कैसा रहता है और वैश्विक आर्थिक संकेत कैसे आते हैं। यदि यह कारक नकारात्मक बने रहते हैं, तो बाजार में और गिरावट संभव है। लेकिन यदि स्थिरता आती है, तो बाजार वापसी भी कर सकता है।
25 अप्रैल 2025 को शेयर बाजार में जो गिरावट देखी गई, वह कई वजहों से आई – सुरक्षा का माहौल, विदेशी निवेशकों का रुख, कंपनी के कमजोर नतीजे, और ऊंचे वैल्यूएशन। यह घटना एक चेतावनी की तरह है कि बाजार में निवेश करते समय केवल लाभ की उम्मीद न रखें, बल्कि जोखिमों को भी समझें और तैयारी के साथ आगे बढ़ें।
निवेशकों को चाहिए कि वे इस समय को सीखने और रणनीति पुनर्निर्धारण के अवसर की तरह लें। सही जानकारी, धैर्य और विवेकपूर्ण निर्णय ही इस तरह के उतार-चढ़ावों में आपकी सबसे बड़ी ताकत होंगे।