US-China Trade War यानी अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापारिक जंग अब सिर्फ आयात-निर्यात तक सीमित नहीं रही। यह एक बहुस्तरीय संघर्ष बन गया है जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और तकनीकी आयाम शामिल हो गए हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यह जंग क्यों शुरू हुई, कैसे बढ़ी और आज किस मोड़ पर खड़ी है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर की शुरुआत कैसे हुई?
US-China Trade War की शुरुआत 2018 में उस समय हुई जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की। ट्रंप प्रशासन का कहना था कि चीन अमेरिकी कंपनियों की बौद्धिक संपदा चुराता है और व्यापार में अनुचित लाभ लेता है।
टैरिफ की राजनीति: कौन किसे चोट पहुंचा रहा है?

अमेरिका का कदम
अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले सैकड़ों अरब डॉलर के सामानों पर 25% से 145% तक टैरिफ लगाए। इसमें स्टील, एल्यूमिनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और टेक्नोलॉजी उत्पाद शामिल थे।
चीन का जवाब
चीन ने भी जवाबी हमला करते हुए अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर 5% से 125% तक टैरिफ लगा दिए। कृषि उत्पाद, वाइन, गैस, और ऑटोमोबाइल इस सूची में शामिल थे।
टारगेटेड स्ट्राइक
चीन ने अमेरिकी किसानों और मिड-वेस्ट उद्योगों को टारगेट किया ताकि ट्रंप प्रशासन पर राजनीतिक दबाव डाला जा सके। वहीं अमेरिका ने चीन की टेक्नोलॉजी कंपनियों को निशाना बनाया, विशेषकर Huawei, TikTok और ZTE जैसी कंपनियों को।
क्यों नहीं झुक रहा चीन?

1. सीमित अमेरिकी निर्भरता
चीन की GDP में अमेरिकी निर्यात का योगदान केवल 2% है। इससे जाहिर होता है कि टैरिफ से नुकसान जरूर हुआ, पर यह घातक नहीं है।
2. मजबूत घरेलू बाजार
चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। वहां की सरकार ने आंतरिक खपत को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू कीं।
3. दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता की नीति
शी जिनपिंग की सरकार ने “मेड इन चाइना 2025” जैसी योजनाओं को लागू करके टेक्नोलॉजी और रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है।
4. वैश्विक संबंधों का विस्तार
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ज़रिए अफ्रीका, एशिया और यूरोप में निवेश बढ़ाया है ताकि वह अमेरिका पर निर्भर ना रहे।
अमेरिका क्यों पीछे नहीं हट रहा?

1. बौद्धिक संपदा की रक्षा
अमेरिका का आरोप है कि चीन अमेरिकी तकनीक की चोरी करता है और अपने फायदे के लिए उसे उपयोग करता है।
2. घरेलू समर्थन
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रेड वॉर को “अमेरिका फर्स्ट” की नीति का हिस्सा बताया और घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने की बात कही।
3. रणनीतिक दबाव
अमेरिका चाहता है कि चीन अपने व्यापारिक व्यवहार में बदलाव लाए और ग्लोबल ट्रेड नियमों का पालन करे।
टेक्नोलॉजी: नई जंग का मैदान
US-China Trade War अब टेक्नोलॉजी क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुका है।
Huawei और 5G
अमेरिका ने Huawei पर जासूसी का आरोप लगाकर उसे बैन कर दिया। इसके बाद दुनिया के कई देशों ने Huawei के 5G नेटवर्क पर पुनर्विचार किया।
TikTok और डेटा प्राइवेसी
टिकटॉक को अमेरिका ने डेटा सिक्योरिटी के आधार पर निशाना बनाया। इसे चीन की सॉफ्ट पावर के रूप में देखा गया।
सेमीकंडक्टर वॉर
अमेरिका ने सेमीकंडक्टर उपकरणों के निर्यात पर पाबंदी लगाई जिससे चीन की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा।
वैश्विक असर: ट्रेड वॉर का तीसरा चेहरा
US-China Trade War का असर सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं है। यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।
1. सप्लाई चेन में बदलाव
बहुत-सी मल्टीनेशनल कंपनियां चीन से अपने उत्पादन यूनिट्स को भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों में स्थानांतरित कर रही हैं।
2. मुद्रास्फीति में इज़ाफा
अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि चीन से आने वाले उत्पादों पर टैक्स ज्यादा हो गया है।
3. शेयर बाजारों में अस्थिरता
ट्रेड वॉर के हर नए मोड़ पर वैश्विक बाजारों में गिरावट या उछाल देखने को मिलता है।
भारत की भूमिका: मौके में अवसर?

भारत के लिए US-China Trade War एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है।
1. मैन्युफैक्चरिंग का विकल्प
भारत को अब एक वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखा जा रहा है। सरकार भी ‘मेक इन इंडिया’ और ‘PLI स्कीम’ के तहत निवेश को बढ़ावा दे रही है।
2. ग्लोबल कंपनियों का रुख
Apple, Samsung, और Foxconn जैसी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं ताकि चीन पर उनकी निर्भरता कम हो।
3. डिप्लोमैटिक संतुलन
भारत ने अब तक इस ट्रेड वॉर में तटस्थ भूमिका निभाई है और दोनों देशों से संबंध बनाए रखे हैं।
क्या है इस युद्ध का भविष्य?
सुलह की संभावना?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच बैकडोर बातचीत के ज़रिए सीमित समझौते हो सकते हैं, लेकिन पूरी तरह समाधान निकट भविष्य में संभव नहीं।
ट्रंप की रणनीति में बदलाव?
चुनाव नज़दीक आते ही ट्रंप को घरेलू दबाव के चलते नर्म रुख अपनाना पड़ सकता है, जैसे टेक्नोलॉजी उत्पादों पर टैरिफ से छूट देना।
चीन का रवैया?
चीन की रणनीति स्पष्ट है — दबाव में नहीं झुकना और लंबी अवधि में आत्मनिर्भर बनना। ऐसे में यह जंग जल्दी खत्म होती नहीं दिख रही।

US-China Trade War अब केवल आर्थिक टकराव नहीं है, यह विश्व राजनीति का वह मोर्चा बन चुका है जहां से वैश्विक सत्ता संतुलन तय होगा। ट्रंप और शी जिनपिंग दोनों इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बना चुके हैं। एक ओर अमेरिका की टेक्नोलॉजी और पूंजी है, तो दूसरी ओर चीन की विशालता और दीर्घकालिक रणनीति। फिलहाल कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं, लेकिन इस संघर्ष का असर पूरी दुनिया पर महसूस किया जा रहा है — और होता रहेगा।
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FAQs:
- US-China Trade War कब शुरू हुआ?
यह युद्ध 2018 में शुरू हुआ जब अमेरिका ने चीन पर भारी टैरिफ लगाए। - ट्रंप ने चीन पर कितना टैरिफ लगाया है?
कुछ उत्पादों पर टैरिफ 145% तक पहुँच चुका है। - चीन ने क्या जवाब दिया?
चीन ने भी जवाबी टैरिफ लगाए और अमेरिका के कृषि उत्पादों को टारगेट किया। - Huawei पर बैन क्यों लगाया गया?
अमेरिका ने जासूसी के आरोपों के कारण Huawei पर बैन लगाया। - इस ट्रेड वॉर का सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ा है?
दोनों देशों के उपभोक्ता और उद्योग प्रभावित हुए हैं, लेकिन वैश्विक सप्लाई चेन पर भी असर पड़ा है। - भारत को क्या लाभ मिल सकता है?
भारत एक वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। - क्या अमेरिका और चीन के बीच समझौता हो सकता है?
हां, लेकिन यह समझौता अस्थायी हो सकता है। - क्या चीन कमजोर हो रहा है?
नहीं, चीन लंबी अवधि की रणनीति पर काम कर रहा है और फिलहाल दबाव में नहीं दिखता। - क्या भारत ने इस विवाद में कोई पक्ष लिया है?
भारत ने संतुलित रुख अपनाया है और दोनों देशों से संबंध बनाए रखे हैं। - क्या US-China Trade War का अंत निकट है?
फिलहाल इसकी कोई स्पष्ट संभावना नहीं दिख रही।